“हम साजिशों को समझ नहीं सके…” : अकाली दल के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने बेअदबी की घटनाओं पर मांगी माफी

Shiromani Akali Dal Foundation Day: शिरोमणि अकाली दल के स्थापना दिवस पर अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में अकाली दल का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस दौरान सुखबीर सिंह बादल ने 2015 में हुए बेअदबी की घटनाओं को लेकर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी है.

अमृतसर: 

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के 103वें स्थापना दिवस पर गुरुवार को अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने बेअदबी की घटनाओं (2015 Sacrilege Cases) के दोषियों की गिरफ्तारी में नाकाम रहने पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी. सुखबीर सिंह बादल ने कहा, “सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक-अस्थायी सीट श्री अकाल तख्त साहिब (Sri Akal Takht Sahib) की प्राचीर पर गुरु की इच्छा के प्रति खुद को समर्पित करते हुए मैं ईमानदारी से और बिना शर्त खालसा पंथ से माफी मांगता हूं. माफी इसलिए कि अकाली शासन के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (Sri Guru Granth Sahib) की बेअदबी का जघन्य अपराध हुआ था.”

पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल ने कहा, “मैं इस बात के लिए भी माफी मांगता हूं कि हम अपने कार्यकाल के बचे हुए संक्षिप्त समय में बेअदबी के दोषियों को पकड़ नहीं सके.न ही उन्हें सजा दिला सके. मुझे बहुत दुख है कि हम कुछ तथाकथित पंथिक व्यक्तियों और संगठनों की साजिशों को समझ नहीं सके. उन्हें हरा नहीं सके. हमें मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा. ये घटनाएं मेरे और पिता प्रकाश सिंह बादल के जीवन की सबसे दर्दनाक घटनाएं हैं.”

दूसरी सरकारों के समय में 10-11 जगह हुई बेअदबी 
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि दूसरी सरकारों के समय जब गोल्डन टेंपल, श्री आनंदपुर साहिब और पटियाला में बेअदबी हुई, तो किसी ने आवाज नहीं उठाई. 10-11 जगह बेअदबी हुई है. किसी के पास कोई वक्त नहीं था कि जाकर देख सकें. अकाली दल को कमजोर किया गया, ताकि कौम पर हमले हो सकें.

एक दशक तक पंजाब की सत्ता में रहा अकाली दल
अकाली दल 2007 से एक दशक तक पंजाब में सत्ता में था. प्रकाश सिंह बादल लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे. इस अवधि के दौरान अकाली दल को 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और दो प्रदर्शनकारियों की हत्या समेत विभिन्न मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ा. सुखबीर बादल ने पार्टी छोड़ने वाले लोगों से “संयुक्त” खालसा पंथ में लौटने की भी अपील की.

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