आतंकवाद क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा : SCO की बैठक में बोले PM मोदी
पीएम मोदी ने एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए, SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई उचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में SCO बैठक हो रही है. एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों में, एससीओ एशियाई क्षेत्र की शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है. हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में, बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं. उन्होंने कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है. इससे हमें मिलकर लड़ना होगा.
पीएम मोदी ने एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए, SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई उचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं. इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है. पहला- ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है. ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है. दूसरा- सुरक्षित यानी सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण.
वैश्विक स्तर की चुनौतियों को पर ध्यान आकर्षित कराते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या SCO एक ऐसा संगठन बन रहा है, जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो? आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है. इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है. आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी.”
पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद (CROSS-BORDER TERRORISM) को अपनी नीतियों के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं. आतंकवादियों को पनाह देते हैं. एसीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा, “भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है. 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं. यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या उग्रवादी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए.”