जरूरत- बजट के बाद दूसरी सबसे जरूरी बात है जरूरत क्योंकि मार्केट में हर सेगमेंट की बाइक मौजूद हैं। अगर आप नौकरी पर जाते हैं कॉलेज जाते हैं तो आपको ज्यादा माइलेज वाली कॉम्यूटर बाइक लेनी चाहिए ताकि आपको कम से कम खर्च में ज्यादा माइलेज मिल सके।
ब्रांड- किसी भी सेकेंड हैंड बाइक को खरीदते वक्त उस ब्रांड को प्राथमिकता दें जिससे रीसेल वेल्यू ठीक हो। यानी की अगर आप एक सेकेंड हैंड बाइक खरीदते हैं और उसे एक साल चलाने के बाद बेचने का मन बनाते हैं तो उस कंडीशन में बाइक बेचने पर आपको सही कीमत मिल सके।
कंडीशन- जिस तरह हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती उसी तरह हर चमकती हुई बाइक ठीक नहीं होती। ज्यादातर डीलर सेकंड हैंड बाइक को चमका कर रखते हैं जिससे ग्राहक झांसे में आ जाते हैं और बाइक खरीद लेते हैं लेकिन उस चमकती हुई बाइक में कुछ ही दिनों में परेशानी आने लगती है जिसमें पैसा लगाना पड़ता है। इसलिए किसी भी बाइक को खरीदने से पहले उसकी कंडीशन, इंजन और पार्ट्स की जांच अच्छी तरह कर लें वरना आपको बाद में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सर्टिफाइड सेकेंड हैंड बाइक- आजकल बहुत सी ऑनलाइन वेबसाइट हैं जो सेकेंड हैंड खरीदने पर न सिर्फ वारंटी देती हैं बल्कि बाइक का इंश्योरेंस, पॉल्यूशन और दूसरे जरूरी डॉक्यूमेंट भी कंप्लीट करके देती हैं जो आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। क्योंकि सेकेंड हैंड बाइक को खरीदने के बाद उसके पेपर ट्रांसफर करवाना बेहद लंबी और खर्चीली प्रक्रिया है।