Lakshya Sen PM Modi: लक्ष्य सेन ने पीएम मोदी से किया वादा पूरा किया, ले गए बाल मिठाई

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर रविवार को थॉमस कप में सोना जीत इतिहास रचने वाली भारत के बैडमिंटन के सूरमाओं की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने न केवल विजेता थॉमस कप की विजेता पुरुष टीम, बल्कि उबेर कप में हिस्सा लेने वाली महिला टीम से भी बात की। जब वह एक-एक खिलाड़ी से बात करते हुए युवा लक्ष्य सेन के पास पहुंचे तो लक्ष्य ने अपना किया हुआ वादा पूरा किया।

उन्होंने पीएम मोदी को बाल मिठाई का पैकेट देते हुए कहा कि मैं आपके लिए बाल मिठाई लेकर आया हूं। इस पर पीएम मोदी हसने लगे। इसके बाद उन्होंने लक्ष्य से टूर्नामेंट में आने वाली दिक्कतों और सफलता के राज पर बात की। बता दें कि जब टीम ने थॉमस कप ट्रॉफी अपने नाम करते हुए इतिहास रचा था तब पीएम मोदी ने फोन पर हर खिलाड़ी से बात की थी, जबकि अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन से मशहूर बाल मिठाई की फरमाइश की थी।

उस समय पीएम मोदी ने फोन पकड़े कदांबी श्रीकांत से पूछा- कौन कौन हैं वहां? लक्ष्य सेन है क्या? पास खड़े लक्ष्य सेन थोड़ा सकुचाए। उन्होंने फोन पर पीएम मोदी को नमस्ते की। फिर मोदी ने लक्ष्य सेन से वह मांग लिया, जिस पर उत्तराखंड के लोग जान छिड़कते हैं। मोदी ने कहा- आपको मुझे अल्मोड़ा की बाल मिठाई खिलानी पडे़गी। लक्ष्य ने तपाक से कहा- मैं वह आपके लिए लेकर आऊंगा सर। अब लक्ष्य ने अपना वादा पूरा किया। लक्ष्य सेन अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के रस्यारा गांव के रहने वाले हैं।

अल्मोड़ा की यह बाल मिठाई है क्या?
पीएम मोदी ने अल्मोड़ा के रहने वाले लक्ष्य सेन से जिस बाल मिठाई की फरमाइश की, वह उत्तराखंड की पहचान है। अल्मोड़ा की बाल मिठाई सबसे मशहूर है। और उसमें भी अल्मोड़ा बस स्टैंड के पास खीम सिंह की बाल मिठाई के दीवाने तो विदेशों तक हैं। बाल मिठाई एक ऐसे चौकोर टुकड़े जैसे दिखती है, जिस पर होम्योपैथी की सी छोटी-छोटी गोलियां चिपकी हों। मुंह को तर कर देने वाला यह चौकोर टुकड़ा शुद्ध मेवे, घी और खस से मिलकर बनता है, जिसे खास कारीगर बनाते हैं। शुगर की छोटी-छोटी गोलियों में इसे लपेटा जाता है। बाल मिठाई के साथ चॉकलेट भी खूब पंसद की जाती है। चॉकलेट में सफेद गोलियां चिपकी हुई नहीं रहती हैं। उत्तराखंड में बाल मिठाई का इतिहास काफी पुराना है। लाल बाजार के हलवाई जोगा लाल शाह की दुकान की बाल मिठाई एक जमाने में खूब मशहूर हुआ करती थी। आज बाल मिठाई पूरे उत्तराखंड में बनती है और खाई जाती है।

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