रफीउल्ला की दलीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा, “अगर पुस्तक में लिखी सामग्री गलत है और इसमें टीपू सुल्तान के बारे में गलत जानकारी दी गई है, ऐसे में अगर इसे वितरित किया जाता है तो इससे वादी को अपूरणीय क्षति होगी। साथ ही इससे सांप्रदायिक शांति और सद्भाव के भी भंग होने की आशंका है।”अदालत ने तीनों प्रतिवादियों को आकस्मिक नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई तीन दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।