India-US 2+2 Dialogue : जो बाइडेन ने मीटिंग से पहले ही बता दिया अमेरिका के लिए भारत क्यों है जरूरत, रूस पर झुकने का सवाल ही नहीं
नई दिल्ली/वॉशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ ऑनलाइन मीटिंग करेंगे। इस दौरान दोनों नेता द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने के साथ ही यूक्रेन संकट, दक्षिण एशिया, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति आदि पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। खास बात यह है कि दोनों नेताओं के बीच यह ऑनलाइन मीटिंग वॉशिंगटन में भारत-अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के चौथे सत्र (Fourth round of 2+2 ministerial talks) से पहले होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ 11 अप्रैल को वॉशिंगटन में इस वार्ता के चौथे सत्र के तहत बातचीत करेंगे। ध्यान रहे कि अमेरिका ने शनिवार को ही कहा था कि राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत के साथ मजबूत संबंध को काफी तरजीह देते हैं। वो मानते हैं कि अमेरिका के लिए भारत से अच्छे संबंध का होना काफी महत्वपूर्ण है।
अमेरिका की अपील पर तय हुई बाइडेन-मोदी की मीटिंग?
हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) को पता चला है कि मोदी और बाइडेन के बीच मीटिंग की पहल अमेरिका ने की है। अमेरिका ने कहा है कि मीटिंग में राष्ट्रपति बाइडेन यूक्रेन पर रूस के ‘बर्बर हमले’ की चर्चा प्रधानमंत्री मोदी के साथ करेंगे। वहीं, भारत के आधिकारिक बयान में यूक्रेन वॉर का जिक्र नहीं किया गया है। वाइट हाउस ने मीटिंग को लेकर जारी बयान में कहा है कि हमारी सरकारों, अर्थव्यवस्थाओं और हमारे लोगों के बीच रिश्तों को और मजबूती प्रदान करने के लिए हो रही है।
रूस पर रुख कड़ा करने का भारत पर दबाव
बाइडेन, मोदी से संभवतः यूक्रेन वॉर पर रूस के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने की अपील कर सकते हैं। वो यूक्रेन युद्ध पर भारत के स्टैंड को काफी ढीला-ढाला बता चुके हैं। बाइडेन की सबसे बड़ी चिंता यह है कि भारत ने रूस के साथ व्यापार के लिए रुपया-रूबल पेमेंट सिस्टम पर सहमति जता दी है जिससे डॉलर आधारित इंटरनैशनल पेमेंट सिस्टम को कमजोर करने की रूस की कोशिशों को बल मिलेगा। अमेरिका ने चेतावनी भी दी है कि भारत ने रूस के साथ सामरिक संबंधों को एक हद से ज्यादा बढ़ाया तो उसका अमेरिका के साथ रिश्ते गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं जिनका भविष्य में लंबे समय तक असर देखा जा सकता है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था, ‘भारत के रूस के साथ स्थापित आर्थिक संबंध हैं और वर्तमान परिस्थितियों में हमारा ध्यान इन स्थापित आर्थिक संबंधों को स्थिर बनाए रखने पर है।’
रूस और अमेरिका, दोनों को भारत की नसीहत
भारत ने यूक्रेन वॉर पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए कुल 10 प्रस्तावों पर वोटिंग में एक बार भी हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, वह यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ नाराजगी जाहिर करता रहा है। साथ ही, भारत नाटो के रूस की सीमाओं की तरफ अग्रसर होने के भी विरोध करता है। बाइडेन ने पिछली बार मार्च महीने में क्वाड मीटिंग में मोदी से बात की थी जिसमें अमेरिका ने बातचीत के एजेंडे में रूस-यूक्रेन युद्ध को भी शामिल करने पर जोर दिया था जिसका भारत ने विरोध किया था। उसी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने रूस पर भारत के स्टैंड को ढीला बताया था।