जबकि महाना ने अपने ट्वीट्स में एक बैठक करार दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जनपद कानपुर के मण्डलायुक्त सभाकक्ष में जनप्रतिनिधियों और जिलाधिकारी,मण्डलायुक्त, एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनपद के सर्वांगीण विकास हेतु चल रहे कार्यों की समीक्षा बैठक की। बैठक में उपस्थित अधिकारियों को प्रत्येक कार्य को नियत समय एवं गुणवत्तापूर्ण कराने के निर्देश दिये।
वहीं मीडिया रिपोर्ट में दावा किया है कि यह शक्ति का दावा अधिक है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, महाना खेमे के कई नेता, जैसे भाजपा यूपी उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई और पार्टी के क्षेत्रीय सचिव मोहित सोनकर उपस्थित थे।
सीएम और प्रभारी मंत्री ही इस तरह की बैठक बुला सकते: पचौरी
इस बीच पचौरी ने एक मीडिया हाउस को बताया, “मैंने कहा है कि केवल सीएम और प्रभारी मंत्री ही इस तरह की बैठकें कर सकते हैं। अब स्पीकर भी ऐसी मीटिंग बुला रहे हैं। इस तरह की बैठक करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हमने इस व्यवस्था पर आपत्ति जताई है। मैंने और सांसद भोले ने हाल ही में कानपुर के विकास के लिए केंद्रीय रेल मंत्री के साथ बैठक की है। कई अन्य बैठकें समय-समय पर आयोजित की गई हैं।
पचौरी ने कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि चूंकि स्पीकर के सलाहकार के पास कोई संवैधानिक पद नहीं है, इसलिए उनके पास संभागीय आयुक्त को निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं है। पचौरी ने कहा कि किस आधार पर स्पीकर के सलाहकार ने संभागीय आयुक्त को निर्देश जारी किया है? और संभागीय आयुक्त उनके निर्देश पर कैसे कार्य कर सकते हैं? संभागीय आयुक्त का पद एक संवैधानिक पद है और वह इस तरह के निर्देशों पर ध्यान नहीं देने का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।