डबल मर्डर केस: चिंतन उपाध्याय की उम्रकैद की सजा निलंबित करने से हाई कोर्ट का इनकार
चिंतन उपाध्याय (Chintan Upadhyay) ने अपनी अपील में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में गलती की है, उन्हें दोषी ठहराने के लिए उचित और ठोस सबूत और तर्क की कमी है.
नई दिल्ली:
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को आर्टिस्ट चिंतन उपाध्याय की उम्रकैद की सजा (Chintan Upadhyay Life Sentence) निलंबित करने और जमानत देने से इनकार कर दिया. मुंबई कोर्ट ने चिंतन उपाध्याय को अपनी अलग रह रही पत्नी हेमा उपाध्याय की हत्या की साजिश रचने के आरोप में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई. हेमा और उनके वकील हरेश भंभानी की 11 दिसंबर 2015 को हत्या कर दी गई थी और उनके शवों को गत्ते के डिब्बों में बंद कर मुंबई के कांदिवली इलाके में खाई में फेंक दिया गया था. चिंतन उपाध्याय ने सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए अक्टूबर में हाई कोर्ट का रुख किया था.
चिंतन उपाध्याय ने अपनी अपील में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में गलती की है, उन्हें दोषी ठहराने के लिए उचित और ठोस सबूत और तर्क की कमी है. अपील पर सुनवाई लंबित होने तक, चिंतन उपाध्याय ने हाई कोर्ट से उनकी सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत पर रिहा करने की अपील की थी. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने सोमवार को चिंतन उपाध्याय की अर्जी खारिज कर दी. हाई कोर्ट सजा आदेश के खिलाफ चिंतन उपाध्याय की अपील पर उचित समय पर सुनवाई करेगा.
सत्र न्यायाधीश ने ठहराया साजिश रचने का दोषी
डिंडोशी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस वाई भोसले ने 5 अक्टूबर को चिंतन को उनकी पत्नी को मारने के लिए उकसाने और साजिश रचने का दोषी ठहराया था. तीन अन्य फरार आरोपी, टेम्पो चालक विजय राजभर और सहायक प्रदीप राजभर और आर्ट फैब्रिकेटर विद्याधर राजभर के साथ काम करने वाले शिवकुमार राजभर को दोहरे हत्याकांड का दोषी पाया गया था.
चिंतन उपाध्याय ने जेल में बिताए छह साल
हाई कोर्ट ने सितंबर, 2021 में जमानत दिए जाने से पहले चिंतन उपाध्याय लगभग छह साल तक जेल में थे. चिंतन ने अदालत के सामने अपने अंतिम बयान में दावा किया था कि पुलिस दोहरे हत्याकांड को सुलझाने में असमर्थ रही और इसलिए उनके और हेमा के वैवाहिक विवाद का फायदा उठाकर उसे झूठे मामले में फंसा दिया गया.