तीन-तीन कक्षाओं के बच्चे एक ही कमरे मे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर

महासमुंद जिले मे शिक्षा व्यवस्था का हाल जिला मुख्यालय से लगे ग्राम खरोरा के स्कूल से समझा जा सकता है.

महासमुंद: महासमुंद जिले के एक स्कूल में तीन-तीन कक्षाओं के बच्चे एक साथ एक ही कमरे मे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. महासमुंद जिले मे कुल 1954 स्कूल भवनों में से 674 प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं. इन जर्जर स्कूलों में हालात यहां तक बदतर हैं कि किसी भी वक्त कोई बड़ी घटना हो सकती है.

वर्षों से जर्जर स्कूलों के लिए काफी मशक्कत के बाद कुल 12 करोड़ 72 लाख रुपये भवन मरम्मत के लिए स्वीकृत हुए. मार्च के अंतिम सप्ताह मे सुधार और निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसे शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले पूरा होना था. लेकिन अभी भी 674 स्कूल भवनों का कार्य पूरा नहीं हो पाया है.

महासमुंद जिले मे शिक्षा व्यवस्था का हाल जिला मुख्यालय से लगे ग्राम खरोरा के स्कूल से समझा जा सकता है. शासकीय उच्च प्राथमिक शाला खरोरा का भवन साल 2006 मे बना था, जो वर्तमान मे जर्जर हो चुका है. भवन की छत गायब है और जमीन पर मलबा बिखरा हुआ है. ये इस स्कूल की वर्तमान स्थिति है. लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों से छात्र-छात्राएं इसी जर्जर भवन में बरसात के समय टपकते पानी के नीचे पढ़ने को मजबूर थे. अभी वर्तमान मे इस स्कूल मे छठी ,7वीं , 8वीं के 98 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं.

इस वर्ष शिक्षा सत्र शुरु होने से दो दिन पहले इस जर्जर भवन की छत गिरा दी गई और स्कूल को धीवर समाज के भवन मे शिफ्ट कर दिया गया और अब तीन-तीन कक्षाओं के बच्चे एक साथ एक ही कमरे मे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. स्कूल के बच्चे और शिक्षक दोनों बेहद परेशान हैं. छात्राओ का कहना है कि एक कमरे मे तीनों कक्षाओं की पढ़ाई हो रही है क्योंकि जगह नही है.

पढ़ाई मे डिस्टर्ब हो रहा है और पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पा रही है. स्कूल के प्रधानपाठक बताते हैं कि अभी भी स्कूल भवन में रिपेयरिंग चल रही है. नियम से स्कूल खुलने से पहले मरम्मत हो जानी चाहिए थी. महासमुंद जिले के जर्जर स्कूल भवनों और बेहाल शिक्षा व्यवस्था की जानकारी आला अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी को है.

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