स्कूली शिक्षा में पंजाब के बच्चे नंबर वन, राजस्थान के नंबर दो; छात्राओं का प्रदर्शन छात्रों से बेहतर

नेशनल अचीवमेंट सर्वे-2021 में हर विषय में पंजाब के बच्चे नंबर वन पर रहे और राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा। पंजाब और राजस्थान के बच्चे गणित में अच्छे रहे और अंग्रेजी में गोवा के बच्चों ने बाजी मारी।

स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों में सीखने की क्षमता परखने व नई शिक्षा नीति में चर्चा को लेकर देशभर में कराए गए सर्वेक्षण में पंजाब और राजस्थान के बच्चों का औसत प्रदर्शन अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छा रहा। इस सर्वेक्षण में पंजाब टॉप पर और राजस्थान नंबर दो पर रहा है। सर्वे के मुताबिक छात्राओं का प्रदर्शन भी छात्रों से बेहतर रहा है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे-2021 में यह बात सामने आई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से पिछले साल 12 नवंबर को पूरे देश में नेशनल अचीवमेंट सर्वेक्षण का आयोजन हुआ था। इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 720 जिलों के 1.18 लाख स्कूलों के पांच लाख से अधिक शिक्षकों और 34 लाख छात्रों ने भाग लिया था। इससे पहले मंत्रालय की ओर से नेशनल अचीवमेंट सर्वेक्षण (एनएएस)-2017 में आयोजित किया गया था।

गणित में पंजाब व राजस्थान अच्छे, अंग्रेजी में गोवा ने मारी बाजी
बच्चों की लैंग्वेज, गणित, विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान व सामाजिक विज्ञान में बच्चों की क्षमता को परक्षा गया। इसमें हर विषय में पंजाब के बच्चे नंबर वन पर रहे और राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा। पंजाब और राजस्थान के बच्चे गणित में अच्छे रहे और अंग्रेजी में गोवा के बच्चों ने बाजी मारी। राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, केवल 42 फीसदी शिक्षकों ने व्यक्तिगत या सहयोगी शोध कार्यों में भाग लिया है। जबकि 97 फीसदी शिक्षकों ने नौकरी से संतुष्टि का दावा किया।

बच्चों को स्कूल में ही पढ़ना पसंद
इस सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में 80 प्रतिशत बच्चों ने माना कि स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती है। 38 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि घर पर पढ़ाई करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 24 प्रतिशत के पास ऑनलाइन पढ़ने के उपकरण नहीं थे। कुछ बच्चों ने घर पर पढ़ाई की तारीफ भी की।

शिक्षकों पर यह हुआ खुलासा
रिपोर्ट के अनुसार देश के स्कूली शिक्षकों का मानना है कि 44 फीसदी शिक्षकों के पास काम करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। वहीं 65 प्रतिशत शिक्षकों पर काम का बोझ ज्यादा है। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि 58 फीसदी शिक्षकों ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से संबंधित चर्चाओं में भाग लिया था।

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