शरद पवार बोले- महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया ज्ञानवापी का मुद्दा

एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही ज्ञानवापी (Gyanvapi) का मुद्दा उठाया गया है ताकि लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटका रहे।

एनसीपी नेता शरद पवार ने शनिवार को कहा कि देश में महंगाई, बेरोजगारी और सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों को दरकिनार कर ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को असल मुद्दों से भटकाने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत ये मुद्दा उठाया जा रहा है। ज्ञानवापी मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। हिंदू पक्षकारों का कहना है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था। हिंदू पक्षकारों की मांग है कि मस्जिद के भीतर मौजूद देवी-देवताओं की पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

गौरतलब है कि हाल ही में एक स्थानीय अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया था जो सोमवार को पूरा हुआ जिसकी 19 मई को रिपोर्ट सौंपी गई थी। सर्वे के आखिरी दिन हिंदू पक्ष ने मस्जिद के भीतर शिवलिंग होने का दावा किया था। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा था। सर्वेक्षण में कथित तौर पर मस्जिद की दीवार पर स्वस्तिक, कमल, कलश, त्रिशूल और शिवलिंग के संकेत मिले हैं। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मुद्दों के जरिए देश को बांटने का आरोप लगाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है। ओवैसी ने पूजा स्थल अधिनियम – 1991 का जिक्र करते हुए कहा कि कानून किसी भी पूजा स्थल के चरित्र में बदलाव की अनुमति नहीं देता है।

ओवैसी ने कहा कि “भविष्य के विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम 1991 बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर की सुनवाई के दौरान कहा था कि ये अधिनियम संविधान के मूल ढांचे का एक हिस्सा है। कांग्रेस ने भी इस कानून का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मुद्दे से और संघर्ष हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह कहते हुए मामले को सिविल जज से जिला जज के पास ट्रांसफर कर दिया कि उसका पिछला आदेश लागू रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पहले मुसलमानों को नमाज अदा करने के लिए प्रवेश में बाधा डाले बिना मस्जिद के अंदर दावा किए गए शिवलिंग की सुरक्षा का आदेश दिया था।

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