‘बर्बाद हो जाएगा हमारा भविष्य’; भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन को लेकर यूक्रेन से लौटे छात्रों का प्रदर्शन

एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, “हम केवल सरकारी या निजी भारतीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन दिलाने के लिए कह रहे हैं। हमारा भविष्य खतरे में पड़ गया है। हम युद्धग्रस्त देश में वापस नहीं जा सकते।”

युद्धग्रस्त यूक्रेन से बड़ी संख्या में निकाले गए मेडिकल छात्रों और उनके माता-पिता ने बुधवार को भुवनेश्वर में ओडिशा विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन किया। छात्र भारतीय मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन की मांग कर रहे हैं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। छात्रों ने सरकार से एक शैक्षणिक वर्ष के नुकसान की भरपाई को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा।

एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, “हम केवल सरकारी या निजी भारतीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन दिलाने के लिए कह रहे हैं। हमारा भविष्य खतरे में पड़ गया है। हम युद्धग्रस्त देश में वापस नहीं जा सकते।” उन्होंने कहा, “पहले ही चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन न तो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और न ही भारत सरकार ने हमारी शैक्षिक व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश जारी करने वाली कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। जबकि ऑपरेशन गंगा के माध्यम से लौटने के बाद हमसे वादा किया था।”

उन्होंने कहा, “चूंकि सभी छात्र भविष्य के डॉक्टर हैं, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा उनके लिए अच्छा विकल्प नहीं है। हमारी मांग है कि सभी छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिया जाए। मेरे माता-पिता ने शिक्षा के लिए सारा पैसा निवेश कर दिया है, और मेरी उच्च शिक्षा और भविष्य अब जोखिम में है।”

यूक्रेन में खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांचवें वर्ष के छात्र तलद जहान ने बताया कि यूक्रेन से लौटे सभी मेडिकल छात्रों ने एनईईटी पास कर ली है। दरअसल इससे पहले खबरें आईं थीं कि छात्रों ने भारतीय मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अनिवार्य परीक्षा को पास नहीं किया है।

उन्होंने कहा, “हम सभी ने एनईईटी क्लियर कर लिया है। हम भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों में स्टडी करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे इसलिए हमने यूक्रेन में प्रतिष्ठित एनएमसी-अप्रूव्ड संस्थानों में एडमिशन लिया। हमने किसी ऐसे ही कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया था।” उन्होंने अधिकारियों से सितंबर से पहले फैसला लेने का आग्रह किया, क्योंकि उसके बाद उनका पूरा शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा, “सितंबर के बाद हमें किसी अन्य विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। अगर भारत हमारी दलीलों पर विचार नहीं करता है, तो हमारा भविष्य बर्बाद हो जाएगा।”

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