13वीं बार बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम: बार-बार सिर्फ 80 पैसे का ही क्यों होता इजाफा? विशेषज्ञों ने बताई बड़ी वजह
Petrol-Diesel Prices Hike For 13th Time In 15 Days: देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है और बीते 15 दिनों में ही 13 बार कीमतों में बढ़ोतरी की जा चुकी है। दाम में तेजी की बात करें तो इस अवधि में पेट्रोल की कीमतों में ही 9.20 रुपये की बढ़ोतरी की जा चुकी है।
देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी जारी है। तेल कंपनियों ने साढ़े चार महीने तेल की कीमतों को स्थिर रखने के कारण जो नुकसान झेला, उसकी भरपाई अब रोजाना इनकी कीमतों में इजाफा कर आम जनता से वसूल रही हैं। हाल ये है कि 15 दिनों में 13 बार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो चुका है। इनमें से दस बार 80 पैसे की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर तेल कंपनियां कीमतों में 80 पैसे की ही वृद्धि क्यों करती हैं। अमर उजाला ने जब विशेषज्ञों से बढ़ोतरी के इस फार्मूले के बारे में पूछा तो उन्होंने इसकी बड़ी वजह बताई।
15 दिन में इतना महंगा हुआ पेट्रोल
तेल कंपनियों ने मंगलवार को पेट्रोल और डीजल पर 80 पैसे और बढ़ा दिए हैं। पिछले 15 दिन में सिर्फ दो दिन 24 मार्च और एक अप्रैल को तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ। बाकी बचे हर दिन इसमें बढ़ोतरी की गई है। तेल की कीमतों की अगर बात करें तो लगातार बढ़ोतरी के बाद अब तक राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 9.20 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब 104.61 रुपये प्रति लीटर हो गई है, जबकि डीजल की दरें बढ़कर 95.87 रुपये हो गई हैं। गौरतलब है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें चार नवंबर 2021 के बाद से 21 मार्च 2022 तक स्थिर थीं। 22 मार्च से इसमें बढ़ोतरी शुरू कर दी गई, जो धीरे-धीरे देश की आम जनता पर बोझ को बढ़ा रही है।
80 पैसे बढ़ोतरी का ये है गणित
15 दिनों में दस बार या कहें तो ज्यादातर जब भी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी करती हैं, तो देखा जाता है कि 80 पैसे की वृद्धि की जाती है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर 80 पैसे की बढ़ोतरी का क्या फार्मूला है। इस संबंध में एजेंल कमोडिटीज के फाउंडर और कमोडिटी विशेषज्ञ अनुज गुप्ता का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करने को लेकर तेल कंपनियों के पास पहले एक सकुर्लर आया था। जिसमें हिदायत दी गई थी इनकी कीमतों में अधिकतम बढ़ोतरी एक रुपये तक ही की जा सकती है। इसके बाद काफी गहन-विचार करने के बाद कंपनियों ने अपने स्तर अधिकतम लिमिट 80 फीसदी तय की और इसके बाद से ही देखने में मिलता है कि तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम में रोजना के आधार पर जो भी बढ़ोतरी करती हैं उनमें ज्यादातर वृद्धि 80 पैसे प्रति लीटर ही की जाती है।
पेट्रोल-डीजल पर अभी राहत नहीं
कमोडिटी विशेषज्ञ अनुज गुप्ता का कहना है कि जिस हिसाब से तेल कंपनियां धीमे-धीमे पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा कर रही हैं, उससे लोगों पर बोझ बढ़ रहा है। इसके साथ ही महंगाई का खतरा में बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद लंबे समय तक देश में तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखने से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस नुकसान की भरपाई अब कंपनियां इनकी कीमतों में रोजाना के आधार पर इजाफा करके कर रही है। गुप्ता ने कहा कि अभी हाल-फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि का सिलसिला थमने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
क्रूड ऑयल में तेजी का प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का असर देश में पेट्रोल-डीजल के दामों पर भी पड़ता है। बता दें कि बीते दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम अपने 2008 के बाद के उच्च स्तर पर 139 डॉलर/बैरल पर पहुंच गया था। हालांकि, इसके बाद इसमें कमी देखने को मिली, लेकिन फिलहाल की बात करें तो मंगलवार को भी इसका भाव 108 डॉलर प्रति बैरल के पार बना हुआ है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल में तेजी के संकट को रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने और भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर लंबे समय तक हालात इसी तरह के बने रहते हैं तो जनता को और महंगाई का बोझ झेलना होगा।
15 से 22 रुपये तक होगा महंगा
हाल ही में आई रिपोर्टों की बात करें तो कई में इस बात का अनुमान लगाया गया था कि तेल कंपनियां अपने घाटे की भरपाई करने के लिए एकदम पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी करने के बजाय धीमे-धीम दाम बढ़ाएंगी। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया था कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में आने वाले दिनों में क्रमश: 15 से 22 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। इस बीच आपको बता दें कि जिस हिसाब से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में तेजी आ रही है उसे देखते हुए महंगाई के खतरे का हवाला देते हुए कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है।
तेल कंपनियों को भारी नुकसान
बीते दिनों आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में आया उछाल भारतीय तेल कंपनियों के लिए बेहद नुकसानदायक रहा है। मुडीज इन्वेस्टर्स की इस नई रिपोर्ट में कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में इजाफे के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखना तेल कंपनियों पर भारी पड़ा है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इससे सिर्फ मार्च महीने में ही तेल कंपनियों को 19000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इन राज्यों में 100 के पार पेट्रोल
बता दें कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पेट्रोल का भाव 100 रुपये चल रहा है। मुंबई में पेट्रोल की कीमत सबसे अधिक है। पेट्रोल-डीजल की कीमत आप एसएमएस के जरिए भी जान सकते हैं। इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर जाकर आपको RSP और अपने शहर का कोड लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। हर शहर का कोड अलग-अलग है, जो आपको आईओसीएल की वेबसाइट से मिल जाएगा।
ऐसे तय की जाती हैं कीमतें
बता दें कि प्रतिदिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है।