सुशील मोदी ने 2025 तक भाजपा के लिए ही लगा दिया नो वैकेंसी का बोर्ड, समझिए क्यों?

पटना: बिहार में 2025 तक सीएम नीतीश कुमार ही रहेंगे, इस पर कोई किंतु परंतु का सवाल ही नहीं है। नीतीश के साथी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ये साफ कर दिया है। उन्होंने एक के बाद एक कुल चार ट्वीट किए और साफ कर दिया कि ये बात पूरी तरह से खारिज करने लायक है कि बीजेपी इस कार्यकाल के बीच में ही कुर्सी पर अपना सीएम बिठाना चाहती है। सुशील मोदी के इन ट्वीट्स या यूं कहिए कि सफाई के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल इन ट्वीट्स की टाइमिंग पर भी है, क्योंकि बोचहां में हार के बाद बीजेपी के अंदर जबरदस्त खलबली मची हुई है।

नीतीश ही 2025 तक मुख्यमंत्री- सुशील मोदी
सुशील मोदी ने जो पहला ट्वीट किया उसमें उन्होंने लिखा कि ‘जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि बिहार में एनडीए सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही कार्यकाल पूरा करेगी, तब भी यह झूठ फैलाते रहना थेथरोलाजी है कि भाजपा बीच में ही अपना मुख्यमंत्री बनवाना चाहती है।’

सुशील मोदी का दूसरा ट्वीट- इस ट्वीट में सुशील मोदी ने लिखा कि ‘मुख्यमंत्री को लेकर निराधार अटकलबाजी जारी रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस शरारत का कुछ असर विधानसभा के बोचहां उपचुनाव पर भी पड़ा होगा।’ यानि सुशील मोदी ने एक तरह से बिहार बीजेपी को लेकर भी ‘तीर’ दागा। उन्होंने बोचहां चुनाव का जिक्र यूं ही नहीं किया, दरअसल इससे पहले बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल और नीतीश के करीब सह JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बीच सम्राट अशोक से लेकर शराबबंदी तक पर जमकर ट्विटर वार हुआ था।

सुशील मोदी का तीसरा ट्वीट- इस ट्वीट में सुशील मोदी ने लिखा कि ‘बिहार विधानसभा का 2020 का चुनाव एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट मांगते हुए लड़ा था। लोगों ने इस पर भरोसा किया।’ इस ट्वीट से सुशील कुमार मोदी ने ये जताने की कोशिश की कि बिहार में नीतीश और दिल्ली में नरेंद्र मोदी के बीच जो करार है उसमें बाकी किसी के लिए कोई जगह नहीं है।

अब समझिए पूरा मामला
इन ट्वीट्स को देखें तो साफ लग रहा है कि सुशील कुमार मोदी बिहार बीजेपी और नीतीश के बीच पैचअप यानि दोस्ताना व्यवहार बरकरार रखने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ बोचहां से लेकर ‘शरारत’ की बात कर सुशील मोदी बिहार बीजेपी के उन नेताओं को भी चेताने की कोशिश कर रहे हैं जिन्होंने उपचुनाव से पहले नीतीश के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी। लेकिन असल मसला ये है कि सुशील मोदी की बात पर बिहार बीजेपी के ऐसे नेता कितने अमल करेंगे। क्योंकि फिलहाल सूबे में पार्टी की कमान भूपेंद्र यादव और परोक्ष रुप से नित्यानंद राय की जोड़ी के हाथ में दिख रही है और दोनों ही बयानबाजियों से लेकर बोचहां के परिणाम तक चुप ही रहे।

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