क्या चीन की साजिश से भारत में फट रहे बादल, के चंद्रशेखर राव के बयान से क्यों शुरू हुई चर्चा
चंद्रशेखर राव के इस बयान के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि क्या ऐसा वाकई में हो सकता है। हालांकि पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब कृत्रिम रूप से बारिश करवाई गई हो।
हाल ही में तेलंगाना और आसपास के राज्यों में भारी बारिश की वजह से कई जिलों में तबाही मची हुई है। इसी बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा कि गोदावरी इलाके में बाढ़ की बड़ी वजह बादल फटना है। उन्होंने कहा कि यह दूसरे देशों की साजिश भी हो सकती है। चंद्रशेखर राव के इस बयान के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि क्या ऐसा वाकई में हो सकता है। हालांकि यह कोई काल्पनिक बात नहीं हो सकती है क्योंकि पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब कृत्रिम रूप से बारिश करवाई गई हो।
दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने यह बयान तब दिया है जब वे हाल ही में राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरान करने निकले थे। उन्होंने कहा कि भारत में बादल फटने की घटनाओं के पीछे विदेशी ताकतों की साजिश है। पहले भी उन्होंने लेह-लद्दाख और उत्तराखंड में यही किया था। हालांकि उन्हें अपने बयान के बाद आलोचना झेलनी पड़ रही है। भाजपा नेता कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर चीन या पाकिस्तान ने ऐसा किया है तो उन्हें केसीआर ने एक गुप्त हवाई अड्डा भी मुहैया कराया होगा।
क्या होता है बादल फटना:
बहुत थोड़े से इलाके में कम समय में बहुत ही ज्यादा बारिश होना फटना कहते हैं। इसमें इतनी तेज होती है जैसे बहुत सारे पानी से भरी एक बहुत बड़ी पॉलीथिन आसमान में फट गई हो। इसलिए इसे हिंदी में बादल फटना और अंग्रेजी में cloudburst कहते हैं। आधिकारिक तौर पर इसका पैमाना 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे से कम समय में 100mm या उससे ज्यादा बारिश होना।
बीजिंग ओलंपिक के दौरान खूब हुई थी इसकी चर्चा
वैसे तो बादल फटने का इतिहास और भी पुराना है लेकिन हाल के दशकों में यह मामला उस समय चर्चित हुआ जब चीन की राजधानी में ओलिंपिक चल रहा था और मौसम विभाग ने मैच के दिन बारिश की आशंका जाहिर की। इससे बचने के लिए चीन ने मैच के एक दिन पहले ही कृत्रिम बारिश करवा ली थी। इसके लिए एक दिन पहले ही बादल फटने का इंतजाम किया गया और अगले दिन बारिश नहीं हुई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले करीब चालीस सालों में देश में बादल फटने की 30 से ज्यादा घटनाएं हुईं। ये सभी घटनाएं हिमालय के क्षेत्र में हुईं। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में बादल फटने के बाद भारी बारिश से कई बार बाढ़ आ चुकी है। इतना ही नहीं 2013 में उत्तराखंड आपदा का कारण बादल फटना ही माना गया था। असम में भी ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।
चंद्रशेखर राव के बयान के मायने
एक तथ्य यह भी है कि बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं भारत-चीन के बॉर्डर वाले इलाकों में होती हैं। लेकिन यह हिमालय के आसपास वाले इलाके में ही ज्यादा होती है। चंद्रशेखर राव के बयान के मुताबिक इस बार बादल फटने के पीछे चीन या पाकिस्तान की साजिश हो सकती है। फिलहाल एक्सपर्ट्स अभी इसे सच मानने से कतरा रहे हैं लेकिन उनके बयान ने एक नई बहस को मौका जरूर दे दिया है।