पेसा कानून से बढ़ेगा ग्रामसभा का अधिकार, सीएम भूपेश बोले- जल, जंगल और जमीन का फैसला खुद लेंगे आदिवासी

छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल ने कहा है कि पेसा कानून पहले से अस्तित्व में था, लेकिन नियम नहीं बनने के कारण इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल रहा था। प्रदेश में पेसा कानून को लेकर नियम बन चुका है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पेसा कानून पहले से अस्तित्व में था, लेकिन इसके नियम नहीं बनने के कारण इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा था। छत्तीसगढ़ में पेसा अधिनियम को लेकर नियम बन चुका है। 8 अगस्त को राजपत्र में अधिसूचना का प्रकाशन भी किया जा चुका है। अब आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे।

मंगलवार को विज्ञान महाविद्यालय परिसर स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के कार्यक्रम में संबोधित करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासियों के हितों को संरक्षण देने राज्य में पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा। नए नियम से ग्रामसभा के 50 प्रतिशत सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे। इस 50 प्रतिशत में से 25 प्रतिशत महिला सदस्य होंगी।

आदिवासियों के जीवन स्तर में आया सुधार
सीएम भूपेश ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई। आदिवासियों को वन अधिकार के पट्टे प्रदान किए गए, जिसके तहत अभी तक 5 लाख पट्टे वन अधिकार के तहत दिए जा चुके हैं। राज्य सरकार 65 प्रकार के लघु वनोपज खरीद रही है, जिससे आदिवासियों को आर्थिक लाभ मिला है। बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अपने गांवों में बैंक खोलने की मांग कर रहे हैं। आदिवासियों के स्वास्थ्य पर सरकार लगातार काम कर रही है, जिससे मलेरिया के मामलों में 65% कमी आई है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक से लाखों लोगों को फायदा मिला है।

नक्सल क्षेत्र में बंद 300 स्कूलों को शुरू किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शिक्षा के मामले में भी हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने बस्तर के 300 बंद स्कूलों को शुरू करने का काम किया है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने राज्य में 10 हजार नए शिक्षकों की भर्ती भी होने जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिम संस्कृति छत्तीसगढ़ की पहचान है और आदिवासियों का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है। भूपेश बघेल ने कहा कि हम आदिवासियों के सारे योगदान को सहेज कर रखना चाहते हैं और इसके लिए भाषा, संस्कृति सभी कुछ सहेजने का काम किया जा रहा है। कार्यक्रम में आदिम जाति विकास मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम उपस्थित रहे।

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